Friday, June 28, 2019

डॉ. आंबेडकर और फूड फॉर थॉट

फूड फॉर थॉट का शाब्दिक अर्थ है दिमाग के लिए भोजन। जैसे शरीर के लिए भोजन चाहिए होता है, वैसे ही दिमाग के लिए। अच्छा भोजन शरीर सही रखता है। अच्छे और सही विचार दिमाग सही रखते हैं। स्वस्थ शरीर से एक शारीरिक रूप से मजबूत समाज बनता है। अच्छे विचारों से बौद्धिक रूप से एक मजबूत समाज बनता है जो अपना भला-बुरा खूब समझता है। जातियों में बंटा भारत का समाज एक कमजोर समाज है क्योंकि उसके दिमाग में सही विचार नहीं जाते। या तो उसे धार्मिक रूप से ऐसे विचार मिलते हैं जो उसकी सारी बौद्धिक क्षमताओं का दमन का देते हैं, या उसे ऐसे विचार मिलते हैं जिस से वह अन्य लोगों से जाति और धर्म के नाम पर खुद को अलग-थलग कर देता है। समज को सही दिशा देने वाले विचार आम मिडिया और पुस्तकों में कम ही मिलते हैं।
पर डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के विचार ऐसे हैं, जिन्हें सही में स्वस्थ फूड फॉर थॉट कहा जा सकता है। जो लोग उन्हें पढ़ते नहीं हैं वह उनके बारे में उटपटांग बाते करते हैं। और जो उन्हें पढ़ लेते हैं वे अपनी और अपने समाज और राष्ट्र की स्थिति सही से समझ लेते हैं। डॉ. आंबेडकर जी ने हज़ारों जातियों में बंटे देश को एक करने के विचार दिए। डॉ आंबेडकर जी ने हिन्दू महिलाओं के उत्थान के लिए विचार दिए। उन्होंने भारत की शिक्षा व्यवस्था को सही करने के लिए विचार दिए। उन्होंने भारत की खेती की समस्या को हल करने के विचार दिए। उन्होंने नैतिक शिक्षा के विचार दिए। उन्होंने राजनैतिक व्यवस्था सुधारने के विचार दिए। इतने गुणवान और बुद्धिमान व्यक्ति के विचारों से अच्छे कोई और विचार हो सकते हैं? और सबसे जरुरी बात यह कि न केवल उन्होंने ईमानदारी से अच्छे विचार ही दिए बल्कि अपना जीवन भी ईमानदारी से जिया। क्या उनसे बेहत्तर कोई है, जो मानव सभ्यता को सही दिशा दे सके ?
अफ़सोस है कि लोग उन्हें या तो गलत समझते हैं या पढ़ते नहीं हैं। मैं उन्हें दस वर्षों से लोगों को पढ़ा रहा हूँ। मैंने दस वर्ष लगा दिए इसी कार्य में कि लोग उन्हें पढ़ें। दस वर्ष मैं धन के पीछे नहीं भागा। दस वर्ष मैंने संघर्ष किया। क्योंकि मैं इस देश का नागरिक हूँ और यहाँ के लोग मेरे अपने लोग हैं। यहाँ की समस्याएं मेरी अपनी समस्याएं हैं। और सबसे बड़ी समस्या है कि कोई सही मर्दर्शक नहीं है। कोई साधु बन कर अच्छे विचार रखता है पर उसका जीवन उसके विचारों के उलट होता है। कई अपने स्वार्थ हेतू अच्छी बातें करते हैं। कई तो यह समझ ही नहीं पाते कि सच क्या है। कई केवल एक पक्ष की ही बात करते हैं। हमें न तो सही से अपना इतिहास, न अपनी राजनीति, न अपना भूतकाल और भविष्य पता है। किसी को हमारा गुरु बना कर थोप दिया गया है और किसी को भगवान। कौन सही है और कौन सही से परिक्षण करके कह रहा है यह नहीं पता।
पर डॉ. आंबेडकर जी के विचार आपको सही ही लगेंगे। और वे ऐसे व्यक्ति के विचार हैं जिसने अपने देश को सर्वोपरि रखते हुए अपने देश के करोड़ों दबे-कुचले लोगों के जीवन को रौशन किया। क्या आपको किसी अन्य मार्ग दर्शक या किसी अन्य गुरु को खोजने की जरुरत है जब स्वयं डॉ. आंबेडकर जी उनके विचारों में आज ज़िंदा है।
इसलिए मेरी अपील है कि उन्हें एक बार तो जीवन में जरूर पढ़ें। किसी भ्रान्ति को स्वीकारने या अस्वीकारने से पहले उसका खुद परिक्षण करें। ऐसे व्यक्ति को तो अवश्य पढ़ना चाहिए जिसने मानव समाज का इतना कल्याण किया है और जो आपके ही देश का है और जिसे समस्त विश्व में न केवल आदर से ही देखा जाता है बल्कि विश्व गुरु भी माना जाता है। आप उनकी लिखित पुस्तकें, भाषण और उनके जीवन से जुड़ी पुस्तकें मुझसे खरीद सकते हैं। आप चाहें मेरे प्रकाशन में फोन करें या वेबसाइट से खरीदें। ध्यान रखे कि यह लेख व्यवसाय के लिए नहीं बल्कि समाज के कल्याण के लिए है। आपका धन ऐसे ही डॉ. आंबेडकर जी के विचारों को आगे बढ़ने में लगेगा और सांसारिक जरूरतें भी एक सत्य है। इसलिए मेरी निष्ठा, लगन और ईमानदारी पर शक करके अपने मस्तिक्ष को अस्वस्थ न करें।
*आपका शुभचिंतक*
निखिल सबलानिया, नई दिल्ली
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